हैसियत



तलवार तेरी टूट गयी अब हैसियत क्या बतायेगा?
टूटी हुई ही समेट ले वरना खैरियत क्या बतायेगा?

हैसियत क्या है आग की? खेल जा पतंगा बन कर,
आग से जो डर गया, फिर सख्शियत क्या बतायेगा?



सूरज जकड़ के कांख के अंदर दबाने का जुनून रख,
मंजिल जो तेरी छट गयी, मिल्कियत क्या बतायेगा?

डर गया तू हार से मंजिल को छोटा कर लिया?
अब बता तू रास्तो को अपनी हुर्रियत* क्या बतायेगा?

मंजिल तलक मील के पत्थर गिन गिन के जाना है,
आधे रास्ते पे हार गया तो कैफ़ियत* क्या बतायेगा?

*हुर्रियत-आज़ादी।
*कैफ़ियत-परिस्थिति, कहानी, कथा। 






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