गर जो रेल मुझको मिल जाएगी,
फिर कैसे वो मुझपे चढ़ जाएगी?

ए हुक्मरां जहाजो से रोटी गिरा दे,
बांकी रातें तो शौक से ढल जाएगी।

गरीबी से बड़ी कौन सी बीमारी है?
जान आज बची कल मर जाएगी।

मुझे भी जालिम पेट है, रोटी नही
रोटी देदे तेरी कुर्सी बच जाएगी।

   @sonideenbandhu
             

यह रचना समर्पित है उन लाखों करोड़ों मजबूरों जो अपने घर जाने के जद्दोज़हद में हैं।
वो जो घर पे नही हैं, वो जानते है इसका दुख। आप अपने घर पे रहिये और देश को इस महामारी से लड़ने में सशक्त बनाने में अपना योगदान दें।

धन्यवाद🙏






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