इमेज बरकरार हो...
जुल्म का मंजर रहे, आवाम सौ खंजर सहे, खून की नदी बहे या क़त्ल सौ हजार हो, ये हुक्मरां का हुक्म है इमेज बरकरार हो...2 घड़ियाल के हों आंसू और हजार इश्तेहार हो, झूठ बेशुमार हो, जुमले सौ हजार हो, हर एक कलमगार से, गुलामी का करार हो, ये हुक्मरां का हुक्म है, इमेज बरकरार हो। उठे जो कोई आंख तो, आंख को ही नोच लो, उठे अगर जो सिर तो फिर, गर्दने दबोच लो, फिर शाही शमशीर से हजार बार वार हो, ये हुक्मरां का हुक्म है, इमेज बरकरार हो। भले ही मुर्दे रो पड़े, ना जुल्म पे लगाम हो, दबी हुई जबान हो, चाहे जो अंजाम हो, हरेक गली कूचे पे, जुल्म की महकार हो, ये हुक्मरां का हुक्म है, इमेज बरकरार हो...2 आदमी एक आंकड़ा, आंकड़े लताड़ दो, सबूत सारे खत्म हो, कोई तो जुगाड़ हो, भले ज़मीर रो पड़े, या सत्य शर्मशार हो, ये हुक्मरां का हुक्म है, इमेज बरकरार हो। @sonideenbandhu